ईशान रोड / उत्तर-पूर्व रोड
ईशान कहे रोड़ हो, सब सुख राम कहाय ।
शांति आय यूँ दौड़ती, पी.टी. ऊषा आय ।।
पी.टी. ऊषा आय, हृदय तब खिल-खिल जावे।
पत्नी बाटी लाय, मन लडू समझ खावे ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, बात मान या मत मान।
साँची-साँची बात, बात यह कहे ईशान ।
शब्दार्थ: पी.टी. ऊषा = भारतीय धाविका, ईशान = उत्तर-पूर्व भाग
भावार्थ: भवन के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में डबल रोड होने से वहाँ रहने वाले सभी व्यक्तिजीवन भर विभिन्न प्रकार के सुख भोगते हैं। शांति और खुशियाँ यूं दौड़ती हुईआती हैं,मानो पीटी ऊषा आरही हो। वहाँ मन इतना प्रसन्न रहता है कि यदि पत्नीथाली में बाटी लाती है तो वह भीलडके समान स्वादिष्ट लगती है।
‘वाणी’ कविराजकहते हैं किवहाँहर प्रकार से उन्नति होती है, इस बात को तुम सत्य मानो या मत मानो किंतु ये सभी बातें ईशान कोण स्वयं अपने ही मुंह से कहते हैं।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
1 टिप्पणी:
rachna behad sundar, bhavarth hetu sadhanyawaad... soochna ke liye bahut-bahut shukriya...
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