Vastu Shastra: Mchli Jesi Prit/ (SK-106)




मछली जैसी प्रीत मछली जैसी प्रीत हो, जीव-जीव के मीत। जीवन-भर का साथ दे, लेय हृदय को जीत।। लेय हृदय को जीत, इधर काँटा उधर अश्रु । दिखावे प्रेम बहुत, नहीं दिखते प्रेम-अश्रु ।। कह ‘वाणी’ कविराज, टैंक की मछली ऐसी। प्रीत तुम्हें सिखाय, प्रीत कर मछली जैसी।।
शब्दार्थ:

प्रीत प्रेम, टेंक = पानी का कुण्ड
भावार्थ:

सच्चा प्रेम ही संसार का प्राण है। प्राणी मात्र एक दूसरे से पावन प्रेम व सच्ची श्रद्धा रखते हुए सभी के हृदय को जीत लेते हैं। इसी में जीवन की सार्थकता है । इधर काँटा चुभे और अश्रु धारा उधर बहे, यही प्रीत की पहचान है। आजकल हर कोई प्रेम में पागल दिखाई देता है, किंतु वियोग शृंगार की एक मात्र शाश्वत पूंजी अविरल अश्रुधारा, नेत्रों में कहीं दिखाई नहीं देती है। ‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि वॉटर टैंक या जल भरे काँच के शो केस में मछलियाँ अवश्य रखें। आवासीय घरों में प्रेम प्रतीक यह मछलियाँजल को निर्मल रखती निवासियों के मन की मलिनताएँ दूर करती हुई सभी के स्नेहिल हृदय को पूर्णतः निष्कपट बनाने में सहयोग देंगी।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया




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